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देवराज इन्द्र के पुत्र जयंत ने एक बार भगवान राम के दैवी होने की परीक्षा लेने की सोची और एक कौवे के रूप में माता सीता को तंग करने लगा। जयंत ने अपनी चोंच से माता सीता के पैर में प्रहार किया, जिससे उनके पैर से रक्त बहने लगा। माता सीता का रक्त देखकर श्रीराम को अत्यंत क्रोध आया और उन्होंने एक घास के टुकड़े को अभिमंत्रित कर जयंत की ओर प्रहार किया। प्रभु श्रीराम की लीला से वह घास का टुकड़ा ब्रह्मास्त्र में बदल गया और जयंत के पीछे लग गया। जयंत अपनी जान बचाने के लिए सभी देवताओं के पास गए, परंतु कोई भी जयंत को श्रीराम के ब्रह्मास्त्र से नहीं बचा पाया। अंत में वह श्रीराम की शरण में गए और अपने जीवन की भिक्षा माँगी। श्रीराम ने जयंत के जीवन के बदले में ब्रह्मास्त्र से उनकी एक आँख ले ली। तभी से कहा जाता है कि कौवे काने होते हैं। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
2m 28s · Jun 23, 2022
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