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जम्मू कश्मीर में करीब 10 साल बाद चुनाव होने जा रहे हैं. यहां मुख्यधारा की लगभग सारी पार्टियां जैसे-नेशनल कॉन्फ्रेन्स, पीडीपी, कांग्रेस और बीजेपी चुनावी मैदान में हैं. इसके अलावा ऐसी पार्टियां भी चुनावी मैदान में हैं जिनपर अलगाववाद और ‘आज़ादी’ के नारे लगाने का आरोप है. इन्हीं पार्टियों में से एक पार्टी है शेख राशिद इंजीनियर की आवामी इत्तेहाद पार्टी और दूसरी है जमात-ए-इस्लामी.जमात -ए-इस्लामी अतीत में हथियार के बल पर ‘आजादी की वकालत’ करती रही है. जिसके चलते जमात-ए-इस्लामी पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है. वहीं, इस पार्टी के कई नेता जेल में बंद हैं और उनके सारे उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. उन्हीं में से एक हैं तलत मजीद, जो पुलवामा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. उन्हें चुनाव आयोग की ओर से टॉर्च का चुनाव निशान मिला है. जमात-ए-इस्लामी ने अतीत में अलगाववाद की बात की है और अब वह भारतीय संविधान के तहत चुनाव लड़ रही है. ऐसे में हथियारों के बल पर आजादी से जम्हूरियत के रास्ते राजनीति का यह सफर कैसे हुआ? और कश्मीरी आवाम को वह अब क्या कहकर अपने पक्ष में जुटाते हैं? इन्हीं सब मुद्दों पर हमने तलत मजीद से बात की.  Hosted on Acast. See acast.com/privacy for more information.
36m 12s · Sep 14, 2024
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