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शोध व आलेख : सुजॉय चटर्जी स्वर : अल्पना  सक्सेना  प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। आज के अंक के लिए हमने चुना है वर्ष 1977 की फ़िल्म ’चला मुरारी हीरो बनने’ का गीत "दो पल की है ये ज़िन्दगानी"। आशा भोसले की आवाज़, योगेश के बोल, और राहुल देव बर्मन का संगीत। क्या कुछ ख़ास है ’चला मुरारी हीरो बनने’ फ़िल्म में? इस गीत को बनाते समय राहुल देव बर्मन को किस बात की फ़िक्र सता रही थी? क्या ज़रूरत थी दूसरे संगीतकारों की धुनों का इस गीत में प्रयोग करने की? सचिन देव बर्मन के किस गीत की धुन पर इस गीत का मुखड़ा पंचम ने तैयार किया? अन्तरे में किस संगीतकार की कौन से गीत का प्रभाव था? मुखड़े की रिदम किस गीत के रिदम जैसी सुनाई देती है? ये सब आज के इस अंक में।
15m 55s · Jan 31, 2023
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