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आलेख : सुजॉय चटर्जी वाचन : RJ गीत प्रस्तुति : संज्ञा टंडन नमस्कार दोस्तों, ’एक गीत सौ अफ़साने’ की एक और कड़ी के साथ हम फिर हाज़िर हैं। फ़िल्म और ग़ैर-फ़िल्म-संगीत की रचना प्रक्रिया और उनके विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित रोचक प्रसंगों, दिलचस्प क़िस्सों और यादगार घटनाओं को समेटता है ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ का यह साप्ताहिक स्तम्भ। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारियों और हमारे शोधकार्ताओं के निरन्तर खोज-बीन से इकट्ठा किए तथ्यों से परिपूर्ण है ’एक गीत सौ अफ़साने’ की यह श्रॄंखला। दोस्तों, आज का अंक है ख़ास क्योंकि आज हम आ पहुँचे हैं इस सीरीज़ के 125-वें अंक पर। यानी कि ये है ’एक गीत सौ अफ़साने’ का हीरक-रजत जयन्ती अंक। तो फिर कुछ ख़ास तो बनता है इस अंक के लिए, है ना? और दोस्तों, यह सप्ताह हमारे स्वतंत्रता दिवस का सप्ताह भी है। तो क्यों ना इन दो ख़ास मौकों को मिले-जुले रूप से मनाये जाये! आज के अंक में हम किसी एक गीत के बजाय एक विषय को लेकर उपस्थित हुए हैं। जी हाँ, पार्श्वगायक महेन्द्र कपूर के गाये हुए देशभक्ति गीत। फ़िल्मी देशभक्ति गीतों में महेन्द्र कपूर का योगदान सर चढ़ कर बोलता है। तो जानिये उनके गाये ऐसे गीतों के बारे में आज के इस अंक में।
18m 30s · Aug 1, 2023
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