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अंधेरे का स्वप्न | प्रियंका मैं उस ओर जाना चाहती हूँजिधर हो नीम अँधेरा !अंधेरे में बैठा जा सकता हैथोड़ी देर सुकून सेऔर बातें की जा सकती हैंख़ुद सेथोड़ी देर ही सहीजिया जा सकता हैस्वयं को !अंधेरे में लिखी जा सकती है कविताहरे भरे पेड़ कीफूलों से भरे बाग़ीचे की ओरउड़ती हुई तितलियों कीअंधेरे में देखा जा सकता है सपनातुम्हारे साथ होने कातुम्हारे स्पर्श की,अनुभूतियों के स्वाद चखने कासफ़ेद चादरों को रंगने काऔर फिर तुम्हारे लौट जाने परउदास होने का !मैं उस ओर जाना चाहती हूँजिधर हो नीम अँधेरा !क्यूँकि अंधेरे में,दिखाई नहीं देती उदासियाँ !
2m 9s · Dec 13, 2024
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