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शान्तिमन्त्र ॐ भद्रङ् कर्णेभिः शृणुयाम देवाः ।भद्रम् पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ।स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभिःव्यशेम देवहितं यदायुः ।। अर्थात : चारो दिशा में जिसकी कीर्ति व्याप्त हैं वह इंद्र देवता जो कि देवों के देव हैं उनके जैसे जिनकी ख्याति हैं जो बुद्धि का अपार सागर हैं जिनमे बृहस्पति के सामान शक्तियाँ हैं जिनके मार्गदर्शन से कर्म को दिशा मिलती हैं जिससे समस्त मानव जाति का भला होता हैं | Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
3m 8s · Aug 30, 2022
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