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संत लूकस रचित सुसमाचार अध्याय 11 में, अन्य घटनाओं के साथ, प्रभु येसु की प्राथना पर शिक्षा दिया गया है। इस अध्याय के महत्वपूर्ण बातें निम्न हैं :-  Watch the Video प्रार्थना - प्रभु येसु से अच्छा कौन हमें प्रार्थना करने सिखा सकता है? अच्छा हुआ शिष्यों ने प्रभु येसु से यह निवेदन किये, "प्रभु! हमें प्रार्थना करना सिखाइए" । और ख्रीस्तीयों की प्रार्थना "प्रभु की प्रार्थना" के रूप में हमारे पास है। जैसे हम देख सकते हैं, संत लूकस पूरी प्राथना को दिए नहीं हैं।  दुराग्रह करने वाला मित्र - कब तक हम ईश्वर से मांगते रहें? जब तक प्रभु हमरी प्रार्थना न सुनें। संत मोनिका अपने पुत्र संत ऑगस्टिन के लिए लगभग 18 साल प्रार्थना की। हम कब तक मांगते हैं? हमारे मांगते ही मिल जाना चाहिए, नहीं तो हम दूसरे किसी के पास मांगने चले जाते हैं ! प्रार्थना का प्रभाव - ईश्वर चाहते हैं कि हम उनसे सबसे उत्तम दान, पवित्र आत्मा की मांग करें। हमारे स्वर्गीय पिता हमारी इस मांग से प्रसन्न हो जाते हैं और जरूर देते हैं।  ईसा और बेलज़ेबुल - प्रभु कहते हैं की जो उनके साथ नहीं है, वह उनका विरोधी है। हम कैसे पता लगाएं कि हम प्रभु के साथ हैं या नहीं? प्रभु लोगों को एकत्र करने आये और शैतान बिखेरता है। तो यदि हम प्रभु के साथ नहीं हैं तो हम शैतान के साथ हैं, और कोई दल नहीं है।  अशुध्द आत्मा का आक्रमण - हमारे जीवन में ईश्वर या शैतान, दोनों में से कोई न कोई रहेंगे। जब हम बुराइयों से छुटकारा पाना चाहते हैं, हम अपने आपको सुधारने की कोशिश करते हैं। लेकिन विडम्बना यह है कि हम और बुरे होते जाते हैं। अपने आपको बेहतर करने से हम बुराई से बच नहीं सकते। हमें अपने जीवन में ईश्वर को उनका उचित जगह देने की जरुरत है।  धन्य कौन? - किसीने प्रभु की माँ, धन्य कुँवारी मरियम, की प्रसंशा की। लेकिन प्रभु ने कहा, "किन्तु वे कहीं अधिक धन्य हैं, जो ईश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं"। कुछ लोग इस वचन को गलत तरीके से माँ मरियम के विरुद्ध उपयोग करते हैं, जबकि प्रभु ने अपनी माँ की प्रसंशा की। धन्य कुँवारी मरियम इसलिए ज्यादा धन्य हैं कि उन्होंने ईश्वर का वचन सुना और उसका पालन भी पूर्ण रूप से किया। उनसे बढ़ कर कौन ईश्वर की इच्छा पूरा किया होगा? योनस का चिह्न - मनुष्य को सबूत की जरुरत है, अन्य शब्दों में कहें तो "चिन्ह" माँगते और ढूंढते रहते हैं। प्रभु येसु दो लोगों का उदहारण देते हैं - योनस और दक्षिण की रानी जो सुलेमान से मिलने अपना देश छोड़कर आयी थी। क्या हमें भी चिन्ह की जरुरत है? दीपक का दृष्टान्त - आँख के कारण ही प्रथम माता-पिता पाप किये और पाप - मृत्यु का आगमन हुआ। राजा दाऊद भी अपनी आँखों के कारण ही बहुत बड़ा पाप किये।  एक फरीसी के यहाँ भोजन - प्रभु येसु फरीसी और शास्त्रियों को धिक्कारते हैं। क्योंकि वे केवल बाहरी बातों पर ध्यान देते हैं। वचन में भी लिखा है कि ईश्वर हृदय देखते हैं।  क्या करते हैं केवल नहीं, बल्कि "क्यों करते हैं" ज्यादा महत्वपूर्ण है।    =================== You are most welcome to follow me on the following platforms.  =================== To understand the Incarnation (the Word made flesh), try this book by Fr. C. George Mary Claret  "God's Journey to Bethlehem: God's Way of Alluring You to Enter Into Your Heart"  https://geni.us/nnB5 Connect him on https://greatergloryofgod.in/ Facebook  Personal  http://bit.ly/FacebookGeo Group http://bit.ly/GGOGFB   Amazon Author Page http://bit.ly/FrGeorge Twitter http://bit.ly/TweetGMC Instagram http://bit.ly/InstaGMC LinkedIn http://bit.ly/LInGMC Medium http://bit.ly/MedGMC Pinterest http://bit.ly/PinCGMC Tumblr http://bit.ly/TumCGMC Quora  Space http://bit.ly/QuoraGGOG Personal http://bit.ly/QuoraCGMC Reddit http://bit.ly/RedditGMC Apple Podcasts http://bit.ly/trinityhspirit Spotify http://bit.ly/trinityholyspirit Google Podcasts http://bit.ly/podcastsgoogle
14m 38s · Sep 23, 2022
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