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Humare Sheher Ki Streeyan | Anup Sethi

Pratidin Ek Kavita

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Episode  ·  3:09  ·  Dec 14, 2024

About

हमारे शहर की स्त्रियाँ | अनूप सेठीएक साथ कई स्त्रियाँ बस में चढ़ती हैंएक हाथ से संतुलन बनाएएक हाथ में रुपए का सिक्का थामेबिना धक्का खाए काम पर पहुँचना है उन्हेंदिन भर जुटे रहना है उन्हेंटाइप मशीन पर, फ़ाइलों मेंसाढ़े तीन पर रंजना सावंत ज़रा विचलित होंगीदफ़्तर से तीस मील दूर सात साल का अशोक सावंतस्कूल से लौट रहा है गर्मी से लाल हुआपड़ोसिन से चाबी लेकर घर में घुस जाएगारंजना सावंत उँगलियाँ चटका कर घर से तीस मील दूरटाइप मशीन की खटपट में खो जाएँगीवह नहीं सुनेंगी सड़ियल बॉस की खटर-पटर।मंजरी पंडित लौटते हुए वी.टी. पर लोकल में चढ़ नहीं पाएँगीधरती घूमेगी ग़श खाकर गिरेंगीलोग घेरेंगे दो मिनटकोई सिद्ध समाज सेविका पानी पिलाएगीमंजरी उठ खड़ी होंगीरक्त की कमी है छाती में ज़िंदगी जमी हैसाँस लेना है अकेली संतान होने का माँ-बाप को मोल देना हैएक साथ कई स्त्रियाँ बस में चढ़ती हैंएक हाथ से संतुलन बनाएछाती से सब्ज़ी का थैला सटाएबिना धक्का खाए घर पहुँचना है उन्हेंबंद घरों में बत्तियाँ जले रहने तक डटे रहना हैअँधेरे में और सपने में खटना हैनल के साथ जगना है हर जगह ख़ुद को भरना हैचल पड़ना है एक हाथ से संतुलन बनाएरोज़ सुबह वी.टी. चर्चगेट पर ढेर गाड़ियाँ ख़ाली होती हैंरोज़ शाम को वहीं से लद कर जाती हैंबहुत सारे पुरुष भी इन्हीं गाड़ियों से आते-जाते हैंउपनगरों में जाकर सारे पुरुष दूसरी दुनिया में ओझल हो जाते हैंवे समय और सुविधा से सिक्के, सब्ज़ियाँ और देहें देखते हैंसारी स्त्रियाँ किसी दूसरी ही दुनिया में रहती हैंकिसी को भी नहीं दिखतीं स्त्रियाँ।

3m 9s  ·  Dec 14, 2024

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