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ज़रा आँखों में मोहब्बत की तिश्नगी पिरोईये फिर हसरतों को सावन की मस्तियों में भिगोईये और फिर देखिये-ऐसे लगेगा जैसे.... कहीं बारिश की हर बूंद में प्यार बरस रहा है तो कहीं दौर-ए-मोहब्बत की पुरानी यादों में भीगा तन मन बूंद बूंद को तरस रहा है.
30m 49s · Aug 3, 2024
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